पुलिस और पत्रकार – राष्ट्रीय पर्वों पर एक अदृश्य दूरी
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ भाई, बुरा लगे तो इसे बस एक हास-परिहास समझ लीजिएगा। वैसे बात में बिल्कुल सच्चाई नहीं है—ऐसा भी नहीं…
न्याय की आवाज़, न्याय को आवाज़
– पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘ भाई, बुरा लगे तो इसे बस एक हास-परिहास समझ लीजिएगा। वैसे बात में बिल्कुल सच्चाई नहीं है—ऐसा भी नहीं…