IPS हरविंदर सिंह की शुरुआत : अप्रत्याशित, असरदार और शानदार

सम्पादकीय : पूर्णेन्दु सिन्हा ‘पुष्पेश ‘  

किसी भी जिला या क्षेत्र में अमूमन कोई बड़ा पुलिस प्रशासनिक अधिकारी स्थानांतरित होकर आता है तो वह अपनी ‘दूसरी’ जमीन तैयार करने में लग जाता है, ऐसी मान्यता है। अधिकारी पहले तो स्थानीय हालात को परखता है, फिर धीरे-धीरे अपने विश्वस्त अफसरों और सूत्रों का जाल बुनने में लग जाता है। कई बार यह प्रक्रिया इतनी लंबी हो जाती है कि जनता को उस अफसर के जाने के बाद ही पता चलता है कि “अच्छा, वो भी कभी हमारे जिले के कप्तान रहे थे।”

लेकिन बोकारो में नवपदस्थापित एसपी हरविंदर सिंह इस मान्यता को तोड़ते नजर आ रहे हैं। उन्हें आए अभी एक सप्ताह भी पूरा नहीं हुआ है और लगभग हर दिन कोई न कोई केस उजागर हो रहा है, अपराधियों की गिरफ्तारी हो रही है। यह स्थिति बोकारो की जनता को न सिर्फ राहत देने वाली है, बल्कि उम्मीद से भी भर रही है। पूरे जिले का पुलिस महकमा एक नई ऊर्जा, नई गति और नई रंगत लिए हुए है।

अब तक के अल्प कार्यकाल में ही आईपीएस हरविंदर सिंह ने यह संकेत दे दिया है कि उनका इरादा सिर्फ परफॉर्मेंस दिखाने का नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव लाने का है। बोकारो की जनता को यह यकीन होने लगा है कि उनके कार्यकाल में न सिर्फ अपराध जगत की जड़ें खोखली होंगी, बल्कि वह तमाम अवांछित झाड़-झंखाड़ और कैक्टस भी उखाड़ फेंके जाएंगे जो अब तक अपराध के संरक्षणदाता बने हुए थे।

अपने बोकारो पदस्थापना सम्भाषण में हरविंदर सिंह ने जो संकेत दिए थे, वो अब कार्यरूप में परिणित होते नजर आ रहे हैं। जिस स्पष्टता और तीव्रता से अपराधियों पर कार्रवाई शुरू हुई है, वह अप्रत्याशित भी है और शानदार भी। यह सब केवल पुलिस कप्तान की इच्छाशक्ति का नतीजा नहीं है, बल्कि एक सक्षम नेतृत्व का उदाहरण है, जिसकी सराहना की जानी चाहिए।

यह भी दिख रहा है कि बोकारो पुलिस, उनके नेतृत्व में, तालमेल के साथ कदमताल कर रही है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि बोकारो को एक मजबूत और आधुनिक पुलिस व्यवस्था की जरूरत है, जिसमें आमजन की भागीदारी हो, पारदर्शिता हो और भरोसे का वातावरण हो। आज भी बहुत सारे लोग पुलिस थाने जाने से कतराते हैं, डरते हैं। अपराधी इस डर का फायदा उठाकर और भी बेख़ौफ़ हो जाते हैं। ऐसे में जनता और पुलिस के बीच एक नया रिश्ता बनाने की जरूरत है—रिश्ता भरोसे का, दोस्ती का।

पुलिस अगर यह जानती है कि डर के कारण ही लोग झूठ बोलते हैं, तो उसे यह भी समझना होगा कि जब डर खत्म हो जाएगा, तो झूठ भी खत्म हो जाएगा। यही वजह है कि अब वक्त आ गया है कि जमीनी स्तर के पुलिसकर्मियों को दोबारा एक ऐसी ट्रेनिंग दी जाए, जिसमें वे न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करना सीखें, बल्कि जनता से संवाद और सहानुभूति का भाव भी सीखें।

अगर जनता पुलिस को अपना समझने लगे, तो अपराधियों के लिए छुपने की जगह नहीं बचेगी। पुलिस को अलग से मुखबिर पालने की जरूरत ही नहीं होगी। हर नागरिक, हर घर, हर मोहल्ला पुलिस का दोस्त बन जाएगा। यह सुनने में मुश्किल जरूर लगता है, लेकिन यह असंभव नहीं है—खासतौर पर जब नेतृत्व में हरविंदर सिंह जैसे अफसर हों। जितनी ज्यादा जनता पुलिस की दोस्त बनेगी, उतनी ही यह सफलता पुलिस की भी मानी जाएगी और समाज की भी।

बोकारो में एक और कमी बेहद खलती है, खासकर महिलाओं को। यह कमी है महिला पुलिस बल की। जो महिला पुलिस बल है भी, वह आम महिलाओं के उतना निकट नहीं है, जितना होना चाहिए। समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए महिला पुलिस की भागीदारी नितांत आवश्यक है। लेकिन अफसोस, अभी तक यह भागीदारी बहुत सीमित रही है।

पुलिस को एक अलग सी ‘दृष्टि’ मिली होती है, जिससे वह भीड़ में भी अपराधी को पहचान लेती है। ऐसे में उसे समाज के भीतर, खासकर महिलाओं के बीच घुसने से परहेज नहीं करना चाहिए। अगर एसपी हरविंदर सिंह के नेतृत्व में महिला पुलिस बल को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाए और उन्हें महिलाओं के बीच संवाद कार्यक्रमों, सुरक्षा जागरूकता अभियानों के तहत उतारा जाए, तो यकीन मानिए बोकारो में महिलाओं का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ जाएगा।

यह जरूरी है कि महिला पुलिस कर्मी बोकारो की शहरी और ग्रामीण महिलाओं की सहेली बनें, उनकी बात को बिना जजमेंट के सुनें और तुरंत कार्यवाही करें। इससे महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर न केवल लगाम लगेगी, बल्कि कई मामले सामने आने से पहले ही रुक जाएंगे। यह भी एक तरह की अपराध रोकथाम होगी, जो कि पुलिसिंग की सबसे ऊंची सफलता होती है।

बोकारो के नए पुलिस कप्तान से जनता को बहुत सारी अपेक्षाएं हैं। पर जिस ऊर्जा, ईमानदारी और फुर्ती से उन्होंने शुरुआत की है, उससे जनता के भीतर भरोसे की एक नई लकीर खिंच चुकी है। जनता भी अब पुलिस से संवाद के लिए तैयार हो रही है, और यह बदलाव का संकेत है।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पुलिसिंग एक सतत प्रक्रिया है। इसमें केवल अपराध रोकना या अपराधी पकड़ना ही पर्याप्त नहीं होता, बल्कि अपराध की जड़ों को पहचान कर उन्हें जमींदोज करना ही असल उपलब्धि होती है। और हरविंदर सिंह में यह क्षमता है।

बोकारो को अब सिर्फ एक मजबूत कप्तान नहीं मिला है, बल्कि एक ऐसा नेता मिला है, जो दिशा भी दे सकता है और गति भी। अब यह बोकारो की पुलिस और जनता दोनों की जिम्मेदारी है कि इस विश्वास को निभाएं और एक नया, सुरक्षित, भरोसेमंद बोकारो बनाएं। चंद पत्रकारों और भले मानुसों को खुश और संतुष्ट कर देने से बड़ी बात है बोकारो की आम जनता को संतुष्ट करना।

इसी विश्वास, आशा और शुभकामनाओं के साथ हम आईपीएस हरविंदर सिंह को उनके कार्यकाल के लिए साधुवाद देते हैं।

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